प्रगतिशाील किसान सुखदेव महाराज समेकित कृषि प्रणाली अपनाकर जी रहे खुशहाल जीवन

जमशेदपुर : घाटशिला प्रखंड अंतर्गत सालबनी निवासी सुखदेव महाराज की पहचान प्रगतिशील कृषक के रूप में होती है। वे लगभग तीन एकड़ में खेती करते हैं। साथ ही उन्होंने गाय पालन, मुर्गी पालन, बत्तख पालन और मछली पालन से अपनी आर्थिक स्थिति को समृद्ध किया है। उनकी पहचान एक समाज सेवक के रूप में भी है और जो कृषि को बदलते हुए मौसम में कैसे सफलता पूर्वक विविधीकरण के माध्यम से बड़े व्यवसाय के रूप में लिया जाय है, इसपर चिंतन भी करते रहते हैं। जबकि आस-पास के युवा समेत अन्य किसानों को आर्गेनिक खेती के लिए वे प्रेरित भी करते हैं।

सुखदेव महाराज बताते हैं कि शुरुआत में पानी की समस्या के कारण पास के मिडिल स्कूल परिसर से पानी लाकर खेतों की सिंचाई किया करते थे। जबकि उन्होंने बताया की पहली बार किसान क्रेडिट कार्ड का लाभ मिला तो कुआं खुदवाने में पैसे लगाकर पानी की समस्या से निजात पाया। आगे जब खेती का दायरा बढ़ा तो बोरिंग तथा कुसुम योजना का लाभ लेते हुए सोलर पैनल और सोलर पंप लगाकर अब सिंचाई करते हैं। उन्होंने पारंपरिक खेती को न अपनाकर सब्जी की खेती की तरफ कदम बढ़ाया। वे परवल, भिंडी, आलू, बैगन, कोहड़ा, मिर्च, लौकी के साथ साथ अन्य सब्जियां उगाते हैं। जिससे उन्हें नकद आमदनी भी होती है। इन सब में मुख्य रूप परवल की खेती ज्यादा करते हैं और जो अप्रैल से लेकर अक्टूबर माह तक की जाती है।

वे प्रत्येक माह लगभग 800 किलो परवल का उत्पादन करते हैं। इस क्षमता में उत्पादन करना सिर्फ इसलिए संभव हो पा रहा क्योंकि वे तकनीक का सहारा लेते हुए ड्रिप टेक्नोलॉजी से सिंचाई करते हैं। इस तकनीक से ना सिर्फ उत्पादन बढ़ा है। बल्कि अब लगभग पहले के मुकाबले 80 गुना पानी की बचत भी कर रहे हैं। वे बताते हैं कि कृषि विभाग के अंतर्गत उन्हें नेट हाउस तकनीक का भी लाभ मिला। जिसका उपयोग वे 5 साल से कर रहे हैं। 60″×24″ के नेट हाउस के अंदर पौधा तैयार किया जाता है। जिसके बाद तैयार पौधों को वे पोटका, पटमदा, डुमरिया, मुसाबनी, हजारीबाग, बोकारो और चाईबासा जैसे क्षेत्रों में आपूर्ति भी करते हैं। अब तक उन्होंने लगभग 300 किसानों को ड्रिप तकनीक के उपयोग का प्रशिक्षण दिया है। सुखदेव महाराज कहते हैं कि समेकित कृषि प्रणाली (इंटीग्रेटेड फार्मिंग) से किसानों को जोड़ने की सोच काफी अच्छी है। जिसे किसानों के बीच और प्रचलित किया जाना चाहिए। ताकि सिर्फ एक मौसम में सिर्फ खेती पर आश्रित न रहकर साल भर किसान जीविकोपार्जन एवं आर्थिक समृद्धि की दिशा में खेती किसानी से जुड़े रहें।

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